वट सावित्री व्रत 2025: Vat Savitri Vrat 2025

वट सावित्री व्रत 2025: व्रत विधि, कथा, महत्व और पूजा का सही तरीका: वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र के लिए श्रद्धा और संकल्प व्रत हैं|

भूमिका:

हमारे भारतीय संस्कृति में ऐसी बहुत से पर्व और त्योहार हैं जो न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े होते हैं, बल्कि स्त्रियों के इससे गहरी भावनाएं भी होती है। ऐसा ही हर स्त्रियों के लिए एक विशेष व्रत है वट सावित्री व्रत, जिसे हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों विशेष रूप से अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती है।

इस व्रत का पौराणिक महत्व:

सावित्री और सत्यवान की अमर प्रेम गाथा से जुड़ी यह व्रत की कथा शुरू होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री राजा अश्वपति की पुत्री थी, सावित्री ने तपस्या से वरदान प्राप्त किया था और उसने अपने पति सत्यवान की अकाल मृत्यु से यमराज से उसका जीवन वापिस प्राप्त किया| सावित्री ने वट सावित्री के व्रत करके ही अपने पति को मौत के मुँह से बहार लायी थी, उसकी धैर्य, भक्ति, बुद्धिमत्ता और प्रेम से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दे दिया। इसीलिए हर सुहागन स्त्री इस घटना को याद करते हुवे यह व्रत करती हैं और वट वृक्ष (बड़ का पेड़) की पूजा करती हैं, क्योंकि सावित्री ने भी वट वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या की थी।

व्रत की विधि

वट सावित्री व्रत 2025

इस व्रत की पूजा के लिए महिलाये काफी उत्सुक होती हैं, पूजा की विधि काफी सरल होता है wikipedia के अनुसार भी अनुशासनपूर्वक होती है तो चलिए इसके सम्पूर्ण विधि को समझते हैं:

🌅 1 प्रातः कल पूजा की शुरुआत

आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।

फिर आपको नए या साफ सुथरे वस्त्र पहनें, ज्यादातर महिलाये आज के दिन लाल या पीले रंग के कपड़े पहनना पसंद करती हैं।

हर सुहागन को इस दिन हाथों में मेंहदी लगाना चाहिए और सारे शृंगार की चीजे पहनने चाहिए जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया आदि।

🪔 2. व्रत का संकल्प :

हर स्त्री जो इस पूजा को करती हैं उन्हें व्रत का संकल्प लेना चाहिए कि दिन भर उपवास रहेंगी और वट वृक्ष की पूजा कर व्रत कथा सुनेंगी।

🌳 3. पूजा की विधि :

वट वृक्ष के जड़ में पूजा की जाती है आप जाकर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं।

आपको जड़ में रोली, अक्षत, फूल, फल, धूप, दीप से अर्पित करना हैं।

उसके बाद आपको वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत (धागा) को लपेटना होता हैं इसको आप 7 या 21 बार लपेट सकते हैं जिसको परिक्रमा कहते हैं।

पूजा करने के बाद पति की लंबी उम्र की कामना करना चाहिए।

📖 4. कथा का पाठ:

फिर आपको सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें।

और लास्ट में आरती करें और सभी को व्रत की महिमा बताएं।

🍽️ 5. समापन:

पूजा समापन के बाद व्रति महिलाएं प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करती हैं।

इसे भी पढ़े: रिश्ते को मजबूत और खुश कैसे रखें | How to keep a relationship strong and happy

व्रत में किन चीज़ों का विशेष ध्यान रखें:

इस दिन कुछ महिलाये कुछ महिलाये नमक रहित भोजन करती है और कुछ स्त्रियाँ पूर्ण उपवास भी रखती हैं (केवल फल, जल या कुछ भी नहीं)।

व्रत करते समय आपको सत्य और श्रद्धा का पालन करना चाहिए ।

वट वृक्ष का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व:

इस वृक्ष की मान्यता आयुर्वेद में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी छाया, पत्तियाँ और जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।

24 घंटे इससे ऑक्सीजन निकलता है, इसलिए इसे जीवनदायी माना जाता है।

हमारे धर्म में ये त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का वास स्थल भी कहा गया है|

व्रत के पीछे छिपा संदेश:

यह व्रत केवल एक धार्मिक कर्मकांड तक ही शिमित नहीं है, यह नारी की शक्ति, प्रेम, समर्पण और आत्मबल को दर्शाता है। सावित्री ने जिस प्रकार अपने विवेक और संकल्प से यमराज जैसे मृत्यु के देवता को भी झुका दिया, इसीलिए ये हर स्त्री को प्रेरित करता है कि वह धैर्य और भक्ति से किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना कर सकती है।

Scroll to Top